यूपी के शिक्षक तरस रहे तबादले को — और शासन मांग रहा मध्यप्रदेश की शिक्षिका के ट्रांसफर का प्रस्ताव!

यूपी के शिक्षक तरस रहे तबादले को — और शासन मांग रहा मध्यप्रदेश की शिक्षिका के ट्रांसफर का प्रस्ताव!

उत्तर प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत सैकड़ों शिक्षक वर्षों से स्थानांतरण के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन शासन की प्राथमिकताएं कुछ और ही इशारा कर रही हैं।
ताज़ा मामला मध्य प्रदेश की एक शिक्षिका वसुंधरा राजे परमार के अंतर-राज्यीय तबादले से जुड़ा है, जिसके लिए शासन ने तेजी से कार्यवाही शुरू कर दी है।



क्या है मामला?

  • वसुंधरा राजे परमार, अंग्रेजी की प्रवक्ता (PGT) हैं
  • वर्तमान में वे मध्य प्रदेश के शासकीय उच्च माध्यमिक कन्याशाला, अमानगंज, पन्ना में कार्यरत हैं
  • उनका तबादला उत्तर प्रदेश के किसी राजकीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ता पद पर करने की अपेक्षा जताई गई है


शासन की ओर से सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है, और माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव से तबादले का प्रस्ताव मांगा गया है

पर यूपी के शिक्षकों का क्या?

राजकीय विद्यालयों में कार्यरत यूपी के शिक्षक वर्षों से ट्रांसफर न होने से परेशान हैं।

  • ऑनलाइन तबादला प्रणाली में गंभीर विसंगतियों के चलते कई शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं
  • मानवता के आधार पर, एक जनपद-एक पद, या पति-पत्नी नीति जैसे नियमों की अव्यवस्था और अनदेखी लगातार सामने आ रही है
  • कुछ शिक्षकों के ट्रांसफर लगातार टलते जा रहे हैं, जबकि किसी विशेष मामले में शासन तुरंत सक्रिय हो जाता है

क्या यह दोहरी नीति नहीं?

जब एक ओर प्रदेश के शिक्षकों को तबादले के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ रहा है,
और दूसरी ओर एक दूसरे राज्य की शिक्षिका का प्रस्ताव मांगते ही मंजूर हो जाता है —
तो क्या यह ट्रांसफर नीति की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठाता?


शिक्षक संगठनों में नाराज़गी

शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह मामला दर्शाता है कि:

  • राजकीय स्कूलों में नियम सबके लिए समान नहीं हैं
  • कुछ मामलों में “प्रभाव” प्राथमिकता ले लेता है, और
  • स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता की कमी अब असहनीय हो गई है

शासन से मांग:

  1. राजकीय शिक्षकों के ऑनलाइन ट्रांसफर पोर्टल में विसंगतियों की समीक्षा हो
  2. शिक्षकों को समान और पारदर्शी अवसर दिया जाए
  3. अंतर-राज्यीय ट्रांसफर से पहले राज्य के भीतर लंबित मामलों को प्राथमिकता दी जाए
  4. शिक्षा व्यवस्था में ‘पारदर्शिता और प्राथमिकता’ दोनों सुनिश्चित की जाए
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