दहेज प्रताड़ना केस में FIR के बाद दो महीने तक नहीं होगी गिरफ्तारी: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

 

दहेज प्रताड़ना केस में FIR के बाद दो महीने तक नहीं होगी गिरफ्तारी: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला




नई दिल्ली: दहेज प्रताड़ना के मामलों में अब सीधे गिरफ्तारी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि FIR दर्ज होने के बाद पहले फैमिली वेलफेयर कमेटी (FWC) की रिपोर्ट आने तक गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। यह रोक FIR के दो महीने तक प्रभावी रहेगी।

इस ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की गाइडलाइंस को मंजूरी दी है। अब दहेज प्रताड़ना (धारा 498A IPC) के केस में शिकायत मिलते ही पहले मामला FWC को भेजा जाएगा।

हाईकोर्ट की गाइडलाइंस को दी गई मंजूरी

  • FIR या शिकायत दर्ज होने के बाद मामला पहले FWC को भेजा जाएगा।
  • FWC शिकायतकर्ताओं और प्रतिवादी दोनों को बुलाकर एक महीने में सुलह-समझौते की कोशिश करेगी।
  • दो महीने तक गिरफ्तारी नहीं की जा सकेगी
  • रिपोर्ट मिलने के बाद ही पुलिस आगे की कार्रवाई कर सकेगी।
  • हर जिले में एक फैमिली वेलफेयर कमेटी बनेगी।

किन मामलों में जाएगा केस FWC को?

सिर्फ उन मामलों को ही FWC के पास भेजा जाएगा:

  • जिनमें धारा 498A IPC के साथ IPC की धारा 307 (यदि कोई चोट नहीं है) और अन्य हल्की धाराएं लगी हों।
  • जिनमें 10 साल से कम सजा का प्रावधान हो।

FWC में कम से कम तीन सदस्य होंगे, परंतु कोई भी सरकारी कर्मचारी या मामला संबंधित व्यक्ति FWC का सदस्य नहीं हो सकता।

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क्या है दहेज प्रताड़ना कानून?

भारत में दहेज प्रताड़ना को लेकर कानून 1983 में भारतीय दंड संहिता (IPC) में धारा 498A जोड़ी गई थी। इसके तहत पति या ससुराल पक्ष द्वारा पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने पर कठोर सजा का प्रावधान है।

  • धारा 498A: अधिकतम 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान।
  • धारा 304B: दहेज मृत्यु से संबंधित, यदि विवाह के 7 साल के भीतर महिला की संदिग्ध मृत्यु हो तो ससुराल पक्ष जिम्मेदार माना जाता है।
  • धारा 406: दहेज के रूप में दी गई संपत्ति की हेरा-फेरी पर भी मामला दर्ज हो सकता है।

क्यों आया यह फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 498A का दुरुपयोग हो रहा है। कई मामलों में झूठे आरोप लगाकर निर्दोष लोगों को जेल भेजा गया है। इसीलिए सुलह और सही जांच के लिए यह नई प्रक्रिया लागू की गई है।

यह निर्णय न्यायपालिका की ओर से एक संतुलित और सुधारात्मक कदम है, जो समाज में न्याय के साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा को भी बनाए रखने की कोशिश करता है।

 निष्कर्ष

अब दहेज प्रताड़ना के केस में FIR दर्ज होते ही गिरफ्तारी नहीं होगी। पहले FWC की जांच और सिफारिश जरूरी होगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कानूनी प्रक्रिया को संतुलित और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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